गणतंत्र दिवस के उपलक्ष में ऑनलाइन कवि सम्मेलन
गणतंत्र दिवस के उपलक्ष में कवि सम्मेलन
गाजियाबाद(एसपी चौहान)।
75वे गणतंत्र दिवस के अवसर पर ऑन लाइन मुशायरा एवं कवि सम्मेलन का आयोजन भारत कला, साहित्य एवं सांस्कृतिक संस्थान, गाज़ियाबाद द्वारा किया गया। जिसमें 15 शायरों व गीतकारों ने भाग लिया।
संस्था के अध्यक्ष एवं संस्थापक प्रोफ़ेसर कमलेश संजीदा ने अतिथियों के स्वागत के पश्चात मंच पर सरस्वती वंदना के लिए वंदना कुँअर रायज़ादा तथा नाते पाक के लिए मंच पर रईस सिद्दीकी बहराइची को मंच पर बुलाया। दोनों ने सरस्वती वंदना एवं नाते पाक से मुशायरे/ कवि सम्मेल की शुरुआत की। इसके पश्चात रचना निर्मल ने इस सम्मेलन का संचालन किया।
प्रस्तुत हैं इस सम्मेलन के कुछ अंश-
गुल हो नायाब तो गुलदान भी आ जाते हैं
झोपडी में कभी सुलतान भी आ जाते हैं
- अज़ीम देवासी देवास मo प्रo।
जी रहा हर कोई है बड़े शान से
अपनी धरती है प्यारी हमें जान से
हिन्दू मुस्लिम इसाई या सिख सब यहाँ
रह रहे अपने भारत में सम्मान से
- डॉo सुशील श्रीवास्तव "सागर" सिद्धार्थनगर
दिल्ली चलो और जयहिंद का था पैगाम तुम्हारा।
खून के बदले आजादी का दिया आपने नारा।।
-प्रदीप गर्ग 'पराग' फ़रीदाबाद
कविता -वतन परस्ती
कितनीं कीमत देकर हमने,
आजादी ये पाई है
अपनों ने ही अपनों की अर्थी,
फिर से अब तो उठाई है |
-प्रोफ़ेसर कमलेश संजीदा गाज़ियाबाद
जब भी छाए अब्र मुश्किल के वतन की आन पर
खेले हैं तब तब हमारे तिफ़्ल अपनी जान पर
-रचना निर्मल,दिल्ली
रिश्वते लेके जी रहा हूँ मैं। जाम पर जाम पी रहा हूँ मैं।। हो न जाए बड़े-बड़े रुसवां। इसलिए होंट सी रहा हूँ मैं।। -बम्पर बहराइची यूपी।
उत्तर प्रदेशभारत की आन बान है छब्बीस जनवरी। अपने वतन की शान है छब्बीस जनवरी।।
हर हाल में मनायेंगे इस जश्न को रईस। यानी हमारी जान है छब्बीस जनवरी।।
-रईस सिद्दीकी बहराइची।
ले हथेली पे जॉं देखो वो चल दिये
रो रहा आसमॉं देखो वो चल दिये
वो जिये और मरे इस वतन के लिए
छोड़कर दास्ताँ देखो वो चल दिये ॥
-वंदना कुँअर रायज़ादा गाज़ियाबाद।
एक मुक्तक देश के नाम
ना धरा चाहिए ना गगन चाहिए
हो खुशी में मगन, वो सदन चाहिए
सबके चेहरे सदा खिलखिलाते रहें
मुझको ऐसा ही अपना वतन चाहिए।
-डॉo तूलिका सेठ गाज़ियाबाद से
मुश्किलों से जब तलक अंजान है
आदमी तब तक ही बस इन्सान है
-हेमंत शर्मा 'दिल' गाज़ियाबाद।
वीर पुत्रों ने सजाया आंचल,
ना आया किसी की आंख में पानी
गर्व से फूल गए सब
देख शहीदों की मेहरबानी
-मीनाक्षी मुसाफ़िर गाज़ियाबाद।
न टुकड़े होंगे कभी वतन के
सिपाही बन कर रहो अमन के
-जगदीश मीणा गाज़ियाबाद।
ख़ुशी का है दिन मगर आँख में नमी है,
शहीदों की शहादत की दिल में ग़मी है,
-राशिद मुरादाबादी मुरादाबाद।
शीर्षक- नव भारत का निर्माण करें
जब स्वर्ण रश्मि धरती पे पड़े,
केसर रंग से, ये गगन सजे.
- मौसमी प्रसाद कोलकता।
ये मुसलमाँ, वो ईसाई सब सियासी चाल हैं
पेड़ ये है हिंद का, हम पत्तियाँ औ' डाल हैं
-डॉo मनोज मोक्षेन्द्र ग्रेटर नॉएडा।
उपस्थित श्रोताओं ने रचनाओं को ध्यान से सुना और रचनाओं की सराहना की। कार्यक्रम के अध्यक्ष अज़ीम देवासी ने अपनी समीक्षा में कहा कि सभी शायरों ने जो भी कलाम प्रस्तुत किए, वो सभी बेहतरीन रहे।अगर इसी तरह से हमारी क़लम लोगों को जागरूक करती रही तो भारत में नये सवेरे का उदय होना निश्चित है। उन्होंने भारत कला,साहित्य एवं सांस्कृतिक संस्थान,गाज़ियाबाद को सफल आयोजन की एवं बेहतरीन निज़ामत के लिए प्रवक्ता रचना निर्मल को मुबारकबाद दी । । मुख्य अतिथि डॉo मनोज मोक्षेन्द्र ने कहा, कि मैं इस मंच से 2020 से ही जुड़ा हूँ , बहुत बेहतरीन मुशायरा रहा । रईस सिद्धिकी बहराइची जी ने एक ही मंच पर एक साथ कला, साहित्य, व संस्कृति को साथ लाने के लिए कमलेश संजीदा एवं रचना निर्मल के इस कदम की सराहना की।
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