देश लागू हो एक शिक्षा बोर्ड
पूरे देश में लागू हो एक शिक्षा बोर्ड
- सीमा त्यागी।
गाजियाबाद में शिक्षा के क्षेत्र में अनेक विसंगतियों को लेकर सीमा त्यागी संघर्ष कर रही हैं । खासतौर से स्कूल प्रबंधकों की मनमानी और कोरोना काल के दौरान छात्रों से फीस तथा अन्य देय वसूलने के तरीकों को लेकर उनका एक लंबा संघर्ष पूर्ण जीवन रहा है। इसके लिए उन्होंने गाजियाबाद पेरेंट्स
ऐसोसिएशन बनाई हुई है, जिसकी वह अध्यक्ष भी हैं। शिक्षा बोर्ड को लेकर भी उनका मत है कि पूरे देश में एक ही बोर्ड हो तथा देश के समस्त छात्रों के लिए समान अवसर शिक्षा के क्षेत्र में मिलें।
सीमा त्यागी का कहना है कि जहां एक तरफ सरकार, देश को विश्व गुरु बनाने की बात करती है वही शिक्षा की मजबूती के लिए ठोस प्रयास नहीं किए जा रहे।शिक्षा जो सबसे सशक्त माध्य्म है,जो किसी भी देश की आर्थिक,सामाजिक तथा राजनीतिक आदि क्षेत्र का सबसे जरूरी विषय है, उसमें बदलाव लाने बिना देश को विश्व गुरु नहीं बनाया जा सकता। इसलिए जरूरी है हम देश की भावी पीढ़ी को समान अवसर एक जैसा माहौल दें जो कि पूरे देश में एक ही शिक्षा बोर्ड लागू होने से संभव है ।
वर्तमान में भारत के सभी राज्यों में बच्चों को शिक्षा देने के लिए अलग- अलग बोर्ड हैंँ जिनके पाठ्यक्रम में अनेकों भिन्नताएं है तथा छात्रों की परीक्षाओं के मूल्यांकन में भी समानता नहीं है। केंद्र और राज्यों ने अनुच्छेद 21-ए (स्वतंत्र और अनिवार्य शिक्षा) की भावना के अनुरूप समान शिक्षा प्रणाली को लागू करने के लिए उचित कदम नहीं उठाये हैं। हम सभी जानते है कि अनुच्छेद 21-ए के तहत बच्चे तब तक अपने मौलिक अधिकारों का पूर्ण रूप से उपयोग नहीं कर सकते जब तक कि केंद्र और राज्य एक समान शिक्षा प्रदान नहीं करेंगे । सामाजिक-आर्थिक समानता और न्याय प्राप्त करने के लिए यह आवश्यक है कि सभी स्कूलों में पाठ्यक्रम समान हो । चाहे वह प्रबंधन निजी , स्थानीय निकाय, केंद्र या राज्य सरकार द्वारा चलाया जा रहा हो।
कहने का मतलब है कि देश में जितने भी शिक्षा बोर्ड चल रहे हैं उनको सबको एक कर पूरे देश में एक ही शिक्षा बोर्ड अर्थात शिक्षा नीति लागू की जाए । वर्तमान में प्रत्येक शिक्षा बोर्ड का अपना -अपना पाठ्यक्रम है और मूल्यांकन का तरीका भी भिन्न है। जबकि उच्च शिक्षा एवं तकनीकी शिक्षा प्राप्त करने की प्रवेश परीक्षायें सीबीएसई बोर्ड पर आधारित होती हैं। इसलिए देश के सभी छात्रों को समान अवसर प्रदान नहीं होते हैं। जब देश में "एक देश एक टैक्स, एक राशन कार्ड आदि लागू किया जा सकता है तो देश के निर्माण के लिये "एक राष्ट्र - एक बोर्ड" क्यों नही लागू किया जा सकता । सरकार को चाहिये कि अब देश के बच्चों को समान शिक्षा का अधिकार देने के लिये "एक राष्ट्र - एक बोर्ड का गठन" कर देश को विश्व गुरु बनाने के पथ पर अग्रसर करे ।
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