माता शबरी

माता शबरी एक महान वैज्ञानिक और गुप्त चर थी 
एसपी चौहान।
हमारे अंतःकरण में पवित्रता हो और वाणी में नम्रता हो यही धर्म की महत्ता है।अपने कर्म का पालन ही धर्म है। मानव चाहे कितना ही विद्वान हो, वेदों का ज्ञाता हो, किंतु नम्रता के अभाव में सभी व्यर्थ है। यह विचार माता शबरी द्वारा वन में धर्म की महत्ता पर पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में श्रीराम द्वारा व्यक्त किए गए थे।* उन्होंने कहा था कि हे देवी नम्रता ही मानव को धार्मिक बनाने का सबसे बड़ा साधन है। हम शबरी के चरित्र को केवल एक वृद्ध, गरीब, शूद्र, वनवासी भौलनी के तौर पर ही जानते और पढ़ते आए हैं। यह सबरी के चित्र के साथ अन्याय है। यह सच है कि शबरी महर्षि कुरुतुक ऋषि महाराज की कन्या थी। वह इसके अलावा एक महान विज्ञान वेत्ता, एक विदषी महिला और योग्य गुप्त चर थी।उसने भारद्वाज मुनि महाराज की विज्ञानशाला में उनके साथ मिलकर अनेक यंत्रों का निर्माण किया था। उसके पास एक ऐसा यंत्र भी था जिसमें किसी व्यक्ति के एक बूंद रक्त को प्रवेश कराकर उस मानव का पूरा स्वरूप सामने दिखाई देने लगता था। अपने आश्रम में उस वृद्ध शबरी ने राम के आने का इंतजार किया और उसने प्रेम से अभिभूत होकर स्वयं के द्वारा जंगल से लाए हुए जंगली फलों को उन्हें अपने हाथों से खिलाया था। वह न केबल राम के लिए गुप्तचरी करती थी बल्कि भारद्वाज मुनि महाराज के आदेश पर उसने मुनि के सर्व यंत्रों को उसके उपयोग के ज्ञान सहित श्री राम को प्रदान किया था। इसके उपयोग से बाद में वे रावण के साथ हुए युद्ध में विजय पा सके। माता शबरी विज्ञान के प्रवीण ऐसी महिला थी कि जिसने भारद्वाज मुनि के आश्रम में शिक्षा प्राप्त की थी। इसलिए शबरी को उन्होंने गुप्तचर विभाग में नियुक्त किया था। शबरी के पास जो ज्ञान विज्ञान का कोष था और तरह-तरह के यंत्र थे, वे सब उसने भगवान राम को सौंप दिए थे। भारद्वाज मुनि के पास ऐसे- ऐसे यंत्र थे जिससे वे सूर्य की किरणों को शीतल बना देते थे। इसी तरह उनके पास एक स्वाति नाम का ऐसा यंत्र था जिसमें प्राण वर्धक तत्व होते थे। इससे यदि किसी देश को भस्म करना है तो उसमें परमाणु प्रदीप्त हो जाते थे। यह यंत्र माता शबरी ने राम को समर्पित किए थे। माता शबरी एक ऐसी विदुषी महिला थी जो सदा गरीबी में रहती थी और प्रभु का चिंतन करती थी। भगवान राम माता शबरी के आश्रम में उनसे मिले तथा उनके पैर छूकर अपने लिए आशीर्वाद लिया था।

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