महिला दिवस पर डॉ उपासना अरोड़ा से विशेष बातचीत


अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस  पर डॉ उपासना अरोड़ा ने महिलाओं को राष्ट्र की नींव बताया
साहिबाबाद (एसपी चौहान)।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष में एक बातचीत के दौरान यशोदा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल कौशांबी की निर्देशिका डॉ उपासना अरुणा ने बताया कि एक स्वस्थ नारी से ही समूची दुनिया का उत्तम निर्माण संभव है, इसलिए उन्हें अच्छा परवरिश देना चाहिए।
          डॉ उपासना अरोड़ा जहां एक चिकित्सक हैं वही एक अच्छी समाज सेविका भी हैं जो हमेशा महिलाओं के उत्थान के लिए सोचती हैं।अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस अपने दृष्टिकोण को स्पष्ट करने के लिए उन्होंने एक प्रेस वार्ता के दौरान अपने दृष्टिकोण को रखा। इस सिलसिले में  उन्होंने आत्मीयता, मानवता, सेवाभाव, कर्तव्य परायणता, व्यवहारिकता और चिकित्सा जगत के उन पहलुओं को उजागर किया, जिसे जानना-समझना देश और देशवासियों की आज सबसे बड़ी जरूरत है। यहां प्रस्तुत है उनसे हुई बातचीत के कुछ खास अंश-
      सवाल:- आप चिकित्सा क्षेत्र की एक बड़ी हस्ती बन चुकी  हैं। आखिर कैसे पहुंचीं इस मुकाम तक और आगे आपकी प्राथमिकताएं क्या हैं?
जवाब:- मेरा प्रारंभिक जीवन अप्रत्याशित घटनाओं से प्रभावित हुआ, लेकिन मैं बहुत सूझबूझ और मजबूत इरादों को अपना संबल बनाया। कहते हैं न कि जहां चाह है, वहीं राह है। मैं तो आईएएस ऑफिसर बनना चाहती थी, लेकिन वक्त व हालात ने मुझे चिकित्सा क्षेत्र में उतार दिया, फिर हमने पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा। ऐसा इसलिए सम्भव हो सका, क्योंकि मेरा विवाह  पीएन अरोड़ा के साथ हुआ, जो कि इस ग्रुप के प्रबंध निदेशक हैं। इन्होंने हर कदम पर मेरा सहयोग किया। मैं यह शहर स्वीकार करती हूं मेरी उन्नति में डॉक्टर अरोड़ा का भी हाथ है। क्योंकि मैं मानती हूं कि पुरुष और महिला एक गाड़ी के दो पहिए हैं
सवाल:- स्वास्थ्य क्षेत्र में मानवीयता और सामाजिक जिम्मेदारी का निर्वहन आपने कैसे किया?
जवाब:- हेल्थ सेक्टर से जुड़े व्यक्तियों को मानवीयता और सामाजिक जिम्मेदारियों को समझना अत्यंत आवश्यक है। मैंने इसी पक्ष को और अधिक मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ाये और सफल हुई। इसके लिए मैंने कई कोर्स किए और फिर लगातार इस सेक्टर में आगे बढ़ती रही। 
मेरी राय है कि हमारे देश में शहरों की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को और अधिक सशक्त करने की आवश्यकता कहीं अधिक है। क्योंकि ग्रामीण महिलाएं शहरी महिलाओं की अपेक्षा कहीं अधिक काम करती हैं, लेकिन उनके काम का स्वरूप दूसरा है। 
सवाल:- भारतीय समाज में लड़के की बजाय लड़कियों पर कम ध्यान दिया जाता है। आप इस पर क्या कहना चाहेंगी?
जवाब:- मेरा मानना है कि हर परिवार में लड़के की बजाय लड़की पर सबसे अधिक ध्यान देने की जरूरत है। खासकर उसकी शिक्षा से लेकर उसके खानपान तक में भी कतई भेदभाव नहीं होना चाहिए। वैसे अधिकांश घरों में एक माता अपने पुत्र को लड़की की अपेक्षा पोषक तत्व खिलाती है, जबकि मेरा मानना है कि एक लड़की को कहीं ज्यादा मजबूत बनाने की जरूरत है। क्योंकि एक लड़की विवाहोपरांत सृष्टि को आगे बढ़ाने में सबसे अधिक योगदान देती है। जब एक लड़की स्वस्थ होगी तभी हमारे परिवार स्वस्थ होंगे।
सवाल:- पुरुष प्रधान भारत में महिलाओं के प्रति मानसिकता कितनी बदली है?
जवाब:-  यहां मैं सिर्फ यही कहना चाहूंगी कि जिन महिलाओं ने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय सफलताएं प्राप्त कर ली हैं, उन्हें कम से कम बीस महिलाओं को जोड़ कर उनके भविष्य को संवर्धित करने में अपना विशेष योगदान देना चाहिए। हालांकि भारतीय पुरुषों में भी अब महिलाओं के प्रति मानसिकता बदली है। उनके प्रति उनका सम्मान बढ़ा है। आजकल 70 प्रतिशत पुरुष, महिलाओं को प्रोत्साहित कर रहे हैं। 
यह सच है कि पहले महिलाएं घर गृहस्ती ही चला करती थी लेकिन आजकल महिलाएं वित्त मंत्रालय से लेकर राफेल तक उड़ा रही हैं। जीवन का ऐसा कौन सा क्षेत्र है जहां महिलाओं ने अपनी छाप नहीं छोड़ी है।
सवाल:- भारत के चिकित्सकों के विषय में आपकी क्या राय है। 
जवाब:- हमारे देश की चिकित्सा और चिकित्सकों पर मुझे तब और अधिक गर्व हुआ जब मैं अपने से सम्बंधित एक रोग के बारे में समुचित चिकित्सा हेतु विदेश गई और वहां के वरिष्ठ चिकित्सकों से सलाह-मशविरा किया। उन्होंने मेरी ट्रीटमेट सम्बंधी प्रेसक्रिप्शन को देखने के बाद कहा कि "आपका सबसे बेहतर इलाज हिन्दुस्तान में चिकित्सकों द्वारा किया जा रहा है, इसलिए आपको कहीं भी दिखाने की जरूरत नहीं है।" इन शब्दों ने मेरे देश के चिकित्सकों के प्रति सम्मान को और अधिक गर्व से उन्नत कर दिया।
सवाल:- एक महिला कई भूमिका में दिखाई देती हैं। सबमें अच्छा तालमेल बिठा लेती हैं, वो कैसे?
जवाब:- एक महिला, एक पत्नी, एक माँ, एक व्यवसायी महिला और बहुत कुछ के रूप में, वह हमेशा खुद से कहती है कि एक महिला के लिए और भी बहुत कुछ है।
सवाल:- महिला सशक्तिकरण के बारे में आपकी क्या राय है? 
जवाब:- पिछले एक दशक में महिला सशक्तिकरण के जज्बे ने जोर पकड़ लिया है और हमें लगता है कि हम महिलाओं ने जीवन के हर क्षेत्र में अपनी स्थिति को मजबूत किया है और वह पहले की परीक्षा आर्थिक रूप से न केवल मजबूत हुई है बल्कि स्वतंत्र भी अपने आपको महसूस कर रही है यह महिला सशक्तिकरण का स्पष्ट उदाहरण है।
सवाल:- अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का जश्न महिलाएं कैसे मनाएं।
जवाब:- सभी महिलाओं का आह्वान करती हूं कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर अपनी उन उपलब्धियों का जश्न मनाएं जो आपने अतीत में हासिल की हैं। जो भविष्य में आपकी योजनाओं हैं उन्हें एक दूसरे से साझा करें। हमें अन्य महिलाओं से जो आज शिखर पर हैं उनसे सबक लेकर उनके जीवन को के प्रगति को लेकर अपने आप में समीक्षा करनी चाहिए और अपने आप आगे बढ़ने का रास्ता मिल जाता है।
सवाल: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर युवतियों-महिलाओं को आप क्या सन्देश देना चाहेंगी।
जवाब:- मैं 'बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ' मिशन से भी जुड़ी हुई हूँ। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाते हुए मैं अपने देश की महिलाओं और युवतियों सहित सभी से यही कहूंगी कि वो अपनी क्षमता को खुद पहचानें, खुद पर विश्वास करें, अपनी क्षमता को लगातार बढ़ाते रहें, खुद के सीखने की प्रक्रिया और शिक्षा को लगातार मजबूत करते रहे। साथ ही अपनी नीयत साफ रखें। साथ ही यह भी ध्यान रखें कि हमारा जीवन एक समय तक तो हमारा होता है, लेकिन इसके बाद देश के लिए होता है। मैं अपनी टिप्पणी को निम्नलिखित पंक्तियों के साथ समाप्त करती हूं-
“कोमल है कमज़ोर नहीं तू, शक्ति का नाम ही नारी है, जग को जीवन देने वाली, मौत भी तुझसे हारी है।"

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