जहां कथा होती है वह स्थान भी पवित्र हो जाता है।

मनुष्य प्रमाद वश पाप कर्म करता है।
-पं.जीवेश कुमार शास्त्री
गाजियाबाद (एसपी चौहान)।
     मनुष्य का जन्म केवल दु:खमय विषय भोग करने के लिए नहीं है। यह दुर्लभ शरीर से शुभ कर्म करके अन्त:करण को शुद्ध करना चाहिए।
           श्री शास्त्री ने बताया कि महापुरुषों की सेवा मुक्ति का द्वार है। महापुरुष वे हैं, जो समानुचित्त , परमशान्त, क्रोधहीन, सबके हित चिंतक परमात्मा की शक्ति को ही एक मात्र पुरुषार्थ मानने वाले हैं। मनुष्य का कुकर्म करने का मुख्य कारण प्रमाद है और इसी कारण उसको दुःख दायी योनियाँ प्राप्त होती है।
     वास्तव में जबतक जीव के मन में वासनाएँ बनी रहती हैं तब तक भगवान से प्रीति नहीं हो सकती और देहबन्धन से छूट नहीं सकता है।स्वार्थ उन्मत जीव, आत्मस्वरूप को भूल जाने के कारण तरह-तरह के क्लेश पाता हैं।और उसे “मैं” और “मेरेपन” का मोह हो जाता है।जिस समय यह ग्रन्थि ढ़ीली पड़ जाती है, उसी समय वह अहंकार को त्यागकर सब प्रकार के बन्धनों से मुक्त हो, परमपद को प्राप्त कर लेता है। संसार बन्धन से मुक्त होने और भगवान में भक्तिभाव प्राप्त करने के लिए मनुष्य को चाहिए कि वह परमात्मा की कथाओं का श्रवण करे।
दक्ष महाराज की 27 पुत्रियों का विवाह चंद्रमा के साथ हुआ था ।परन्तु चंद्रमा रोहिणी से अधिक प्रेम करता था। बार बार समझाने पर नहीं माना तो दक्ष महाराज ने श्राप दिया । चन्द्रमा ने दुख निवृति के लिए भगवान शंकर की अराधना की। भगवान ने प्रसन्न हो कर दुख निवृति की और जहां पर ये आए थे आज वहां सोमनाथ ज्योतिर्लिंग विराजमान है । जो जीव इनकी पूजा करता है वह कष्टों से दूर होकर शिवलोक को प्राप्त होता हैं।
        इस दिव्य कथा के मुख्य श्रवण कर्ताओं में अनुराग,जयशंकर ,रूपेश, राजेश ,सुपर्णा, अभिषेक, दीपा , सुमन,अमित, संजीव उदय एवं समस्थ महिला संकीर्तन मंडल, वयोवृद्ध , मन्दिर समिति के साथ काफी  भक्त थे। कथा के कारण कथा स्थल: सेक्टर 74 सुपरटेक केपटाउन पवित्र होगया।

Comments

Popular posts from this blog

वसुंधरा चौक पर वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की मूर्ति स्थापित, अब लोकार्पण की तैयारी होगी

क्षत्रिय परिचय सम्मेलन 13 अप्रैल को नोएडा में

वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की मूर्ति पहुंची वसुंधरा,जल्दी होगी स्थापना