आरएसएस प्रचारक के सामने रखीं क्षत्रिय समाज की वेदना


आरएसएस के प्रचारक प्रांत से क्षत्रिय संगठनों ने मिलकर अपने समाज की उपेक्षा पर चिंता व्यक्त की 
साहिबाबाद (एसपी चौहान)।
अखंड राजपूताना सेवा संस्थान,क्षत्रिय महासभा गाजियाबाद  राजपूत सभा साहिबाबाद, राजपूत सभा मधी क्षेत्र, निर्वाण फाऊंडेशन, वसुंधरा क्षत्रिय कल्याण समिति, पुंडरीक फाउंडेशन, वीर कुंवर सिंह शोध संस्थान सहित अनेक क्षत्रिय संगठनों के पदाधिकारी ने ओलीव काउंटी सेक्टर 5 वसुंधरा में आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक के एक कार्यक्रम में भाग लिया और क्षत्रिय समाज की राजनीतिक और सामाजिक स्थिति से उन्हें अवगत कराया तथा सहयोग मांगा।
      अखंड राजपूताना सेवा संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष केपी सिंह ने बताया कि वे अन्य क्षत्रिय संगठनों के अध्यक्षों जैसे राजपूत सभा  साहिबाबाद से भूपेंद्र सिंह, निर्वाण फाउंडेशन से वेद प्रकाश चौहान, मधी क्षेत्र राजपूत सभा से रामौतार सिंह, वीर कुंवर सिंह शोध संस्थान से एमपी सिंह ,पुंडरीक फाउंडेशन से वरुण सिंह पुंडीर क्षत्रिय महा सभा गाजियाबाद से वेदपाल सिंह कुशवाहा वसुंधरा क्षत्रिय कल्याण समिति से पीएस पठानिया, अखंड राजपूताना सेवा संस्थान से वीपी सिंह, एसपी सिंह अजय तोमर ,जितेंद्र सिंह के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक व प्रांत बौद्धिक शिक्षण प्रमुख मेरठ प्रांत कृष्ण कुमार जी से मिले थे और क्षत्रिय समाज की तरफ से एक संयुक्त मांग पत्र दिया गया था। उन सभी का मानना है कि भारतीय जनता पार्टी का उदय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की कोख से हुआ है और भारतीय जनता पार्टी की नीतियों निर्धारण करने वाले राजनेता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक रहे हैं । इसलिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से अपनी बात कहना क्षत्रिय समाज का हक बनता है।
     क्षत्रीय समाज की लगातार उपेक्षा हर पार्टी कर रही है लेकिन भाजपा भी इस लाइन पर चल पड़ी है। उदाहरण के तौर पर गुजरात में एक भी क्षत्रिय समाज के व्यक्ति को लोकसभा व राज्यसभा में प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। लगातार दोनों  सदनों में क्षत्रिय समाज के लोगों की संख्या घटती जा रही है। अगर हम गाजियाबाद की बात करें तो लोकसभा और विधानसभा में एक भी राजपूत प्रतिनिधि नहीं है। एकमात्र प्रत्याशी जनरल वीके सिंह हुआ करते थे उन्हें भी शाजिश कर किनारे कर दिया गया है।  क्षत्रिय समाज के लोग बहादुर और निर्भीक रहे हैं उनकी राष्ट्रभक्ति किसी से छुपी नहीं है। उल्टा सोशल मीडिया वामपंथी इतिहासकारों और सिनेमा जगत के लोगों ने राजपूत समाज की बदनामी में कोई कमी नहीं छोड़ी है।
    इसके अलावा राजपूत समाज एक तरफा भारतीय जनता पार्टी को वोट देता है इसलिए क्षत्रिय समाज की यह चिंता स्वाभिक है।क्षत्रिय समाज मांग करता है कि जहां राजपूत समाज के लोगों की क्षेत्र में संख्या ज्यादा हो वहां की टिकट को आरक्षित ना किया जाए सवर्ण वर्ग के लिए आरक्षित रखा जाए और किसी अन्य वर्ण के व्यक्ति को वहां से भाजपा टिकट न दें। पिछले नगर निगम चुनाव में अकेले वसुंधरा में ही जनरल सीट पर दो गैर सामान्य वर्ग के लोगों को टिकट दी गई। यह एक तरफ से न केवल क्षत्रिय समाज की उपेक्षा है बल्कि समस्त सवर्ण समाज की उपेक्षा दर्शाती है।
    केपी सिंह ने बताया कि अभी हमने प्रतिवेदन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को इस आशा के साथ दिया है कि वह समाज की बातों को आगे रखेगा तथा भारतीय जनता पार्टी के नीति निर्धारण करने वाले प्रमुख राजनीतिज्ञ क्षत्रिय समाज की पीड़ा से अवगत होकर समाज को लाभान्वित करेंगे। अगर इस पर कोई सुधार नहीं होता है तो क्षत्रिय समाज मिलकर आगे की रणनीति पर विचार करेंगा।

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