यशोदा अस्पताल में हृदय रोगी को लगाया बिना तार का पेसमेकर
मरीज के हृदय में बे तार पेसमेकर लगाया
साहिबाबाद(एसपी चौहान)।
यशोदा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल कौशांबी के चिकित्सकों ने एक मरीज को उसके जीवन रक्षा के लिए में बिना तार वाला पेसमेकर लगाया।यह एक विशेष प्रकार की चिकित्सा है जिसमें पेसमेकर को लगाने लिए दिल को चीरना नहीं पड़ता है और मरीज को दो दिन में छुट्टी दे दी जाती है। इस चिकित्सा में पैर की नस के माध्यम से पेसमेकर लगाया गया जिसमें इन्फेक्शन का खतरा कम होता था।
यशोदा सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, कौशाम्बी में चिरंजीव विहार गाजियाबाद निवासी एक 65 वर्षीय मरीज के हृदय में बिना वायर वाला (लीडलेस) पेसमेकर सफलतापूर्वक लगाया गया (इम्प्लांटेशन किया गया)। इसे हृदय में प्रत्यारोपित करने में 20 मिनट लगे और मरीज को 3 दिन बाद ही हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गयी । इस अत्याधुनिक तकनीक में मरीज के हृदय में किसी प्रकार का चीरा नहीं लगाया गया और पैर की नस के जरिये पेसमेकर लगाया गया। हॉस्पिटल के वरिष्ठ ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉ. असित खन्ना ने कहा कि मरीज पेसमेकर लगने के बाद पूरी तरह से स्वस्थ है। उन्होंने बताया कि यह प्रक्रिया एंजियोग्राफी की तरह की जाती है। मरीज की जांघ के पास छोटा छेद किया जाता है, उसी के माध्यम से एक लीडलेस पेसमेकर शरीर में प्रवेश कराया जाता है और उसे ह्रदय में कैथलैब में मशीन में देखते हुए ह्रदय में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है। इसमें जरा भी रक्तस्राव नहीं होता है।
उन्होंने बताया कि पारंपरिक कृत्रिम पेसमेकर (सीपीएम) से जुड़ी समस्याओं से बचने के लिए लीडलेस पेसमेकर लगाए जाते हैं। लीडलेस(से तार) पेसमेकर पारंपरिक पेसमेकर से 90प्रतिशत छोटा होता है।यह एक छोटा उपकरण है जिसे सीधे हृदय में भेजा जाता है।इसके लिए छाती में चीरा लगाने की भी जरूरत नहीं होती है। ये तकनीक चिकित्सा बाजार में अपेक्षाकृत नई है, जिसे 2018 में उतारा गया था। हमारे देश में इसे लगाने के केवल कुछ मामले ही अभी तक सामने आए हैं।
डॉक्टरों का दावा है कि गाजियाबाद में यह पहला सफल प्रयास है। ऐसे मरीज जिनमें हार्ट की काम करने की क्षमता कम होने का पता चलता है और मरीज के शरीर का एक हिस्सा पैरालाइज होने या अन्य कारणों के चलते रूटीन पेसमेकर लगाना लगभग मुश्किल होता है तो ऐसे में लीडलेस पेसमेकर लगाने का निर्णय लिया जाता है । साथ ही उन्होंने बताया कि पेसमेकर से एलर्जी वाले रोगी में भी लीडलेस पेसमेकर लगाया जाता है जिसे साधारण पेसमेकर से एलर्जी की दुर्लभ बीमारी होती है।
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